DBT का पूरा नाम है: Direct Benefit Transfer (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)।
यह भारत सरकार की एक योजना है जिसके तहत सब्सिडी या सरकारी लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं।
DBT Mapping in Banking – हिंदी में संक्षिप्त रूप:
DBT Mapping का मतलब है लाभार्थी (beneficiary) के बैंक खाते को उनके आधार नंबर और सरकारी योजनाओं से जोड़ना ताकि उन्हें सीधे लाभ मिल सके।
बैंक में DBT मैपिंग क्यों जरूरी है?
DBT (Direct Benefit Transfer) मैपिंग बैंक खातों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- सरकारी योजनाओं का सही लाभार्थी तक पहुंचना – यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी सब्सिडी और लाभ सही व्यक्ति के खाते में जाएं।
- धोखाधड़ी रोकथाम – गलत या फर्जी खातों में पैसा ट्रांसफर होने से बचाता है।
- पारदर्शिता – हर ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना आसान हो जाता है।
- कुशलता – मैनुअल प्रोसेसिंग की तुलना में यह तेज और कम त्रुटिपूर्ण है।
- आधार-बैंक लिंकेज – आधार कार्ड से बैंक खाते का सही मैपिंग सुनिश्चित करता है।
- समय बचत – लाभार्थियों को पैसे सीधे और तुरंत मिल जाते हैं, बिचौलियों की जरूरत नहीं होती।
इसमें क्या-क्या शामिल होता है:
- लाभार्थी का आधार नंबर लेना।
- उसे NPCI (National Payments Corporation of India) के साथ मैप करना – ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि DBT पेमेंट सही खाते में जाए।
DBT Mapping बैंक में कैसे करवाएं
🔹 स्टेप 1: बैंक खाता आधार से लिंक होना चाहिए
सबसे पहले, आपका बैंक खाता आपके आधार कार्ड से लिंक होना ज़रूरी है।
कैसे करें:
- अपने बैंक ब्रांच जाएं
- आधार कार्ड की कॉपी दें
- “AADHAAR Linking” का फॉर्म भरें
- आधार लिंक होने के बाद आपको SMS या confirmation मिल जाएगा
🔹 स्टेप 2: NPCI के साथ आधार नंबर को मैप कराना
NPCI (National Payments Corporation of India) की DBT सर्विस में आपका आधार नंबर “Primary Account” से मैप (link) होना चाहिए।
कैसे करें:
- बैंक कर्मचारी से कहें कि “मेरा आधार DBT के लिए NPCI के साथ मैप करें”
- यह मैपिंग बैंक सिस्टम में की जाती है
- आधार नंबर आपके उस खाते से जोड़ा जाता है जिसमें आप DBT लाभ लेना चाहते हैं
🔹 स्टेप 3: सही बैंक खाता चुनवाना (अगर आपके पास कई बैंक अकाउंट हैं)
अगर आपका आधार कई बैंकों से जुड़ा है, तो NPCI हमेशा “latest mapped bank account” को प्राथमिकता देता है।
समाधान:
- DBT लाभ उसी बैंक में चाहते हैं तो उस बैंक में जाकर NPCI मैपिंग करवाएँ
- बाक़ी बैंकों में DBT मैपिंग हटवाना चाहें तो वहां जाकर “NPCI Delink” का फॉर्म भर सकते हैं
स्टेप 4: DBT योजना से रजिस्ट्रेशन करना (जैसे गैस सब्सिडी, स्कॉलरशिप, पेंशन आदि)
- आपको उस योजना में आवेदन देना होता है जिसमें DBT लाभ लेना है
- योजना में आधार और बैंक खाता नंबर देना पड़ता है
- आधार नंबर के ज़रिए सरकार यह चेक करती है कि DBT Mapping सही है या नहीं
DBT मैपिंग के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स
1️⃣ आधार कार्ड (Aadhaar Card) – अनिवार्य
- यह सबसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है
- आधार नंबर ही DBT मैपिंग का मुख्य लिंक होता है
- केवल उसी आधार से मैपिंग होगी जिसे आप बैंक में प्रस्तुत करेंगे
क्यों जरूरी है?
सरकारी योजनाएं और NPCI DBT मैपिंग आधार नंबर के ज़रिए ही काम करती हैं
2️⃣ बैंक पासबुक या खाता संख्या का प्रमाण (Bank Passbook or Account Proof)
- जिस बैंक खाते में आप DBT लाभ लेना चाहते हैं, उसका विवरण देना ज़रूरी है
- पासबुक की पहली पेज की कॉपी, मिनी स्टेटमेंट, या बैंक से मिला खाता विवरण चलेगा
क्यों जरूरी है?
ताकि बैंक सही खाते को आधार से मैप कर सके
3️⃣ पहचान पत्र (ID Proof) – कभी-कभी जरूरी
- कुछ बैंक पहचान के लिए पैन कार्ड, वोटर ID या ड्राइविंग लाइसेंस भी मांग सकते हैं
- अगर आपने आधार पहले से लिंक नहीं कराया है, तो पहचान पत्र देना पड़ सकता है
क्यों जरूरी है?
बैंक को यह सुनिश्चित करना होता है कि आप ही खाता धारक हैं
4️⃣ बायोमेट्रिक सत्यापन (Biometric Authentication) – कई बार जरूरी होता है
- बैंक में आधार को DBT के लिए NPCI से लिंक करने के समय बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन (फिंगरप्रिंट) लिया जा सकता है
- यह UIDAI/आधार नियमों के अनुसार किया जाता है
क्यों जरूरी है?
यह फर्जीवाड़े को रोकने और सुरक्षित मैपिंग के लिए होता है
5️⃣ फॉर्म / आवेदन पत्र (DBT Mapping Form)
- बैंक में एक छोटा सा फॉर्म भरना होता है जिसमें ये डिटेल्स होती हैं:
- आपका नाम
- आधार नंबर
- बैंक खाता नंबर
- हस्ताक्षर या अंगूठा
- सहमति (consent) कि आप DBT लाभ इसी खाते में लेना चाहते हैं